Departmental Inquiry Related Supreme Court Decision

1. Bilaspur Raipur Kshetriya Gramin bank v/s Madanlal Tandon 

(इस केस में यह निर्धारित किया गया है कि आरोप पत्र के साथ लिस्ट ऑफ़ रिलेवेंट डाक्यूमेंट्स न देना प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का स्पष्ट प्रमाण है और इस आधार पर आरोपित अधिकारी को डिसमिस किये जाने के आदेश को कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया | सिंगल जज के इस निर्णय के विरुद्ध बैंक ने डिवीज़न बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन दोनों जगह मुंह की खायी |यह  एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला है जिसकी जानकारी न केवल उन्हें होनी चाहिए जो कि अन्याय के शिकार हुए हैं वरन उन्हें भी होनी चाहिए जो उच्च पदों पर बैठ कर निम्न स्तरीय निर्णय लेते हैं और अपने पद व् संस्था की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं | ऐसे अधिकारियों पर उनकी Appointing Authority  को अनुशासनिक कार्यवाही करनी चाहिए |)

2. निलंबन की अवधि तीन माह से अधिक नहीं हो सकती यदि आरोप पत्र नहीं दिया गया है |

  (इस आदेश का उल्लेख DOPT के OM दिनांक 23.08.2026 में किया गया है |)

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श्री राकेश कुमार अरोड़ा, पूर्व अध्यक्ष प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक के विरुद्ध की गयी शिकायत व् उससे सम्बंधित PNB में लगायी गयी RTI






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